Jumme ki namaz padhne ka mukmmal tarika जुमे की नमाज पढ़ने का तर्जुमा
नमाज़ ए जुम्मा का मुकम्मल तरीका हिंदी में और जुम्मा की नमाज़ की फ़ज़ीलत
अस्सलामु अलैकुम वरहमतुल्लाह वबरकाताहु मेरे प्यारे भाइयों और बहनो आज के article में हम जुम्मा नमाज़ jumma namaz का तरीका और उसके फ़ज़ीलतों के बारे में ब्यान करने वाले है इस्लाम में जुम्मा के दिन का कितना अहमियत है
जुम्मे की नमाज़ jumma namaz में कितनी रकअत है और जुमा नमाज़ की मुकम्मल तरीका को बताएँगे बस आपको इतना करना है की हमारे इस पोस्ट को लास्ट तक पढ़ें इंशा अल्लाह आपको jumma namaz का तरीका मुकम्मल मालुम हो जाएगा |
जुम्मा की नमाज़ का तरीका हिंदी में_Jumma namaz_
बिस्मिल्लाह-हिरहमा-निर्रहीम
5 वक़्तों के तरह ही Jumma namaz भी हर मुसलमान को पढ़ना जरुरी है लेकिन जुम्मे की नमाज़ weekly नमाज़ है यानि के हफ्ता में एक दिन है जुम्मा की नमाज़ में कितनी रकअत है और इसके तरीकों के बारे में
जुम्मा नमाज़ में कितने रकअत होते है namaz e jumma rakat
जुमा की नमाज़ कितनी रकत है : जुमा की नमाज़ *jumma namaz_ में टोटल 14 रकत है बिलकुल उसी तरह जैसे जुहर की नमाज़ है बस जुमे की नमाज़ में 2 रकअत फ़र्ज़ है |
जुहर नमाज़ का मुकम्मल तरीका हिंद
असर नमाज़ का मुकम्मल तरीका हिंदी
नाजरीन अब हम जुम्मे की नमाज़ की नियत जान लेते है किस तरह करना है एक बात का आपलोग हमेशा ख्याल रखियेगा जैसा की हमने पहले भी बता दिया है की जुम्मा की नमाज़ jumma namaz आम नमाज़ों की तरह अकेले में नहीं पढ़ा जा सकता है जुम्मा की नमाज़ हमेशा जमात के साथ पढ़ी जा सकती है और इमाम के पीछे
इसी लिए अगर आप घर पर नमाज़ पढ़ रहे है जुम्मा के दिन तो जुम्मा की नियत ना करें बल्कि जुहर नमाज़ की नियत करें और अगर मस्जिद में नमाज़ पढ़ने आये है तो आप जुम्मा नमाज़ की नियत करें ऐसे Example
नियत की मैंने 4 रकअत सुन्नत नमाज़ ए जुमा की वास्ते अल्लाह तआला के मुंह मेरा काबा शरीफ के तरफ अल्लाह हुअक्बर
जुम्मा नमाज़ का मुकम्मल तरीका हिंदी (Namaz e jumma_
- सबसे पहले 4 रकत सुन्नत इ मुवाकदा पढ़े
- अब इमाम शाहब के साथ 2 रकत फ़र्ज़ पढ़ें
- फिर से 4 रकअत सुन्नत इ गैर मुवाकदा पढ़े
- फिर 2 रकअत सुन्नत इ गैर मुवाकदा पढ़े
- उसके बाद 2 रकअत नफल पढ़े
इस तरह आपकी जुमा की नमाज़ (jumma namaz) मुकम्मल होती है इसके बाद आप बारगाहे रिसालत में अपने दोनों हांथो को उठा कर दुआ मांगे इंशा अल्लाह आपकी दुआ क़ुबूल होगी |
Jumma Ki Fazilat
हजरत अबू हुरैरा -R.Z- से रिवायत है की रसूल अल्लाह _S.A.W- जुम्मा के बारे में बताएं है की इसमें एक वक़्त ऐसा भी है की अगर कोई मुसलमान नमाज़ बराबर लगातार पढता है तो और वो इंसान नमाज़ी उस वक़्त अल्लाह तआला से जो भी मांगता है तो अल्लाह तआला उसे वो चीज अतः कर देते है (भुखारी शरीफ हदीस नंबर: 935, मुस्लिम शरीफ हदीस नंबर:852_
हजरत अबू हुरैरा R Z से रिवायत है की रसूलअल्लाह SAW ने इरशाद फ़रमाया है की सबसे अच्छा दिन जुमे का दिन है कियों की आज के ही दिन यानि के जुमे के ही दिन हजरत आदम अलैहिसलाम AS पैदा हुए थे और आज के ही दिन यानि जुमे के दिन वो जन्नत में गए थे और जुम्मे के ही दिन उनको जन्नत से बाहर भी आये थे इसी वजह से जुमा को मुसलमानो के लिए ख़ास दिन माना गया है|
जुमे की नमाज़ किस पर जरुरी है और किस पर नहीं
हर वो मुसलमान जो बालिग़ है जिसका उम्र (age) 18 साल से ज्यादा है समझदार और अपने शहर या मोहल्ले में रहता हो उस पर जुम्मा की नमाज़ फ़र्ज़ है औरतों और बच्चो पर जुमे की नमाज़ फ़र्ज़ नहीं है औरतें अपने घरों में जुम्मे के दिन जुहर की नमाज़ अदा करें इसी तरह अगर कोई इंसान 77 साल से ज्यादा उम्र (age) के है उस पर भी जुमा की नमाज़ फ़र्ज़ नहीं है अगर किसी इंसान का दिमागी हालत ख़राब है यानि वो पागल है उस पर भी जुमे की नमाज़ कोई जरुरी नहीं है|
जुम्मा की नमाज़ और दूसरे नमाज़ों में फर्क किया है|
*1* जुम्मा की नमाज़ (jumma namaz) हफ्ते में एक दिन होता है जुमे के दिन और दूसरी फ़र्ज़ नमाज़ रोज daily होती है|
*2* जुमा की नमाज़ (jumma namaz) को अकेले में नहीं पढ़ा जा सकता है जुमे की नमाज़ के लिए जमात जरुरी है और दूसरी नमाज़ जमात के साथ या फिर तनहा अकेले भी पढ़ सकते हैं|
*3* छोटे गाओ में जुमा की नमाज़ नहीं पढ़ी जा सकती है और जबकि दूसरी नमाज़ पढ़ी जा सकती है|
*4* जुमा के नमाज़ के लिए खुद्बा बहुत जरुरी होता है जबकि दूसरी नमाज़ के लिए खुद्बा जरुरी नहीं होता है|
जुम्मा की नमाज़ को जान भूझकर ना पढ़ने की सजा
जुमा से जुडी दूसरे कुछ मशले
*1* जुमा की नमाज़ सिर्फ और सिर्फ जमात के साथ अदा किया जाता है|
*2* जब इमाम खुद्बा देने के लिए मिम्बर पर खड़े हो जाएँ तब उसके बाद किसी भी नमाज़ की नियत नहीं करनी चाहिए अगर आप सुन्नत पढ़ रहे हो तो उसे जल्दी से पूरा कर लें और खुद्बा सुनें|
*3* अगर इमाम ने खुद्बा देना सुरु start कर दिया हो तो उस दौरान बात चीत करना हराम है अगर आपको खुद्बा की आवाज़ सुनाई दे रही हो तो सुने वरना खामोस रहें|
*4* अगर कोई इंसान खुद्बा के वक़्त आपको सलाम भी करे तो उसका जवाब नहीं देना चाहिए और अगर कोई इंसान बात भी कर रहा हो तो उसे मन नहीं करना चाहिए नमाज़ ख़तम होने के बाद उसे समझाएं की खुत्बा के वक़्त आपको बात नहीं करना चाहिए|
मुकम्मल तरीका नमाज का
*5*अगर किसी का जुमा की एक रकत छूट गयी हो तो वह दूसरी रकत पूरी कर के सलाम फेर दे तो वह जुमा को पाने वाला मन जायेगा|
*6*अगर कोई नमाज़ी इमाम के सलाम फेरने के बाद नमाज़ पढ़े तो उसकी जुमा की नमाज़ jumma namaz नहीं होगी या तो उसे दूसरे मस्जिद में जाना चाहिए या फिर जहर की क़ज़ा करे जुमा की क़ज़ा नहीं होती है|
फजर की नमाज का मुकम्मल तरीका
+7+अगर बच्चे ख़ुत्बे के समय सरारत या बात कर रहे है तो उनको यातो तो ख़ुत्बे के पहले डांट या बोल सकते है या फिर ख़ुत्बे के बाद ख़ुत्बे के दौरान डांटना या बोलना जायज़ नहीं माना गया है|
Namazon ke tarike
तू दोस्तों कैसी लगी जुमे की नमाज की इनफार्मेशन अगर अच्छी लगी है तो लाइक शेयर करना ना भूलें और कमेंट में जरूर बताएं यह आपको इंफॉर्मेशन कैसी लगी और लिखने में टाइपिंग में कोई भी गलती हो गई हो तो माफ करना हम फिर किसी न्यू जानकारी न्यू इंफॉर्मेशन के साथ मिलेंगे जब तक के लिए अल्लाह हाफिज