बरगद के पेड़ लगाने से क्या फायदा है oxygen fayda vargat ka ped
पर्यावरण को संतुलित बनाए रखने में महत्वपूर्ण बरगद पेड़ मनुष्य और जीव-जंतु के जीवन का आधार है। इसकी सबसे बड़ी खूबी है कि यह अकाल के समय भी जीवित रहता है। धार्मिक, आध्यात्मिक व वैज्ञानिक दृष्टि से पवित्र बरगद का पेड़ जीवन रक्षक भी है। इसे ऑक्सीजन का खजाना कहा जाता है। दिन व रात ऑक्सीजन देने वाले बरगद के सौ वर्ष से ज्यादा पुराने पेड़ 200 से 300 लीटर ऑक्सीजन रोज देते हैं, जबकि नया पेड़ 100 लीटर ऑक्सीजन प्रतिदिन देता है। बरगद के पेड़ की प्रत्येक पत्तियां ऑक्सीजन बनाती हैं। इस पेड़ में जितनी ज्यादा पत्तियां होगी वह उतनी ज्यादा ऑक्सीजन पैदा करेगी। इसके छांव में ज्यादा समय तक रहने से दैहिक, दैविक और भौतिक लाभ मिलता है। पहले बड़े और लाभकारी बरगद के पेड़ लगाए जाते थे। इन पेड़ों से प्रकृति लाभ के साथ लोगों को भी लाभ होता था। अब सड़कों के चौड़ीकरण के नाम पर इन पेड़ों को काट दिया जा रहा है और सड़कों के किनारे जंगली पौधे लगाए जा रहे हैं। इस कारण पर्यावरण को नुकसान हो रहा है। अभी भी गांव में बरगद की छांव में लोग दिन बिताते हैं। यद्यपि शहरों में बरगद बहुत कम मिलते हैं, लेकिन ग्रामीण इलाकों में अभी भी विशाल पेड़ मिलते हैं। इसकी छांव में लोग आज भी चौपाल लगाते हैं। बारात को भी इन्हीं पेड़ों के नीचे जलवासा दिया जाता है। आयुर्वेद के अनुसार, बरगद का पेड़ एक उत्तम औषधि भी है और बरगद के पेड़ से कई बीमारियों का इलाज हो सकता है। केवल बरगद का पेड़ ही नहीं बल्कि बरगद की छाल, बरगद के फल, बरगद के बीज, बरगद का दूध भी रोगों के इलाज के लिए उपयोग किया जाता है। बरगद के पेड़ से कफ, वात, पित्तदोष को ठीक किया जा सकता है।
महिलाओं ने वट सावित्री पर बरगद के पौधे लगाने का लिया संकल्प
वट वृक्ष की पूजा से त्रिदेव ब्रह्मा, विष्णु और महेश का आशीर्वाद प्राप्त होता है। वट वृक्ष की प्राचीन काल से ही पूजा होती है। वट सावित्री पूजन के दिन सुहागिनें अपने पति की दीर्घायु के लिए व्रत रखकर इस वृक्ष को जल चढ़ाती हैं। बरगद के पेड़ को वट वृक्ष या बड़ के पेड़ भी कहा जाता है। घरों के आसपास और मंदिरों में बरगद के पुराने पेड़ हैं जो लाभकारी हैं। महिलाएं बट सावित्री की पूजा के दौरान बरगद के पेड़ की पूजा करती हैं। बहुत विशाल और बड़े-बड़े पत्तों वाले बरगद के पेड़ से रोगों के इलाज में भी फायदे मिलते हैं। इस वर्ष महिलाओं ने भी बरगद के पौधे लगाने का मन बना लिया है। कोट 10 जून को वट सावित्री पूजा है। इस दिन महिलाएं अपनी पति की लंबी उम्र के लिए बरगद पेड़ की पूजा करेंगी। महिलाएं बरगद पेड़ की परिक्रमा के दौरान धागा बांधकर इस धार्मिक व सामाजिक परंपरा को कायम रखती हैं। हिदू धर्म के अलावा कई धर्मों में भी बरगद पेड़ को पूज्य माना गया है। बरगद पेड़ अन्य पेड़ों की अपेक्षा ज्यादा शीतल और ज्यादा छांव देता है। साथ ऑक्सीजन भी अत्यधिक प्रदान करता है। बरगद पेड़ के जड़ से लेकर तना तक का उपयोग स्वास्थ्य के लिए लाभप्रद है_
अखंड सौभाग्य के लिए आदी काल से महिलाएं बरगद पेड़ की पूजा करती आ रही हैं। यह पेड़ आक्सीजन का एक प्रमुख स्रोत भी है। हमलोगों ने कोरोना काल मे ऑक्सीजन की कमी को बखूबी झेला है। इसकी पूर्णावृत्ति नहीं हो इसके लिए हम संकल्प के साथ सभी को अधिक से आधिक पेड़ लगाने की अपील करेंगे और कम से कम पांच पौधे लगाएंगे।
रितिका कुमारी, सहायक पंचायती राज विभाग सुख समृद्धि व सदा सुहागन रहने की कामना करते हिदू धर्म की महिलाएं वट वृक्ष की पूजा करती हैं। साथ ही पूजा स्थल पर पतिव्रता नारी सावित्री और उनके मृत पति सत्यवान के जीवित होने की कथा सुनी जाती है। इससे महिलाओं की सदा सुहागन बने रहने की मनोकामना पूर्ण होती है। वट सावित्री पूजन से अखंड सौभाग्य के साथ संतान प्राप्ति का आशीर्वाद मिलता है। पर्यावरण को सबसे ज्यादा ऑक्सीजन देने वाला बरगद का पेड़ है। वट वृक्ष पौराणिक काल से पवित्र माना गया है। आयुर्वेद में एक उत्तम औषधि है। छाल, पत्ते, जड़, फल का दवाई में प्रयोग होता है। साथ ही प्राण वायु देता है। वट सावित्री के दिन वट का पौधा लगाने की संकल्प लेती हूं_
पूजनीय पेड़ बरगद अपडेट 2023
नेहा कुमारी,गृहिणी भारतीय संस्कृति में वट सावित्री पूजा आदर्श नारीत्व का प्रतीक बन चुका है। सदा सुहागन रहने की कामना को लेकर सदियों से हर सुहागिन वट वृक्ष की पूजा करती है। साथ ही वट वृक्ष भारतीय संस्कृति में समस्त मनोकामनएं पूर्ण करने वाला कल्पवृक्ष मना जाता है। आज पूजा करने के लिए वट वृक्ष खोजने पर भी नहीं मिलता है। इसी को देखते हुए श्रृंगी ऋषि सेवा मिशन के द्वारा वट वृक्ष लगाने की प्राथमिकता दिया गया है। वे स्वयं वट वृक्ष की पौधा लगाएंगी। मिशन के द्वारा चल रहे पर्यावरण संरक्षण और संस्कृति संरक्षण के तहत दूसरे को भी पौधा लगाने के लिए प्रेरित करेंगी। इससे लोगों को छाया के साथ ऑक्सीजन की भी प्रप्ति होगी। भारतीय संस्कृति में मंदिरों का दर्शन तीर्थ माना जाता है तो पर्यावरण और प्रकृति को भी पूजनीय माना गया है_
बरगद ऑक्सीजन पेड़
पृथ्वी पर आक्सीजन की प्रचुरता पर्यावरण के संरक्षण व संवर्धन से ही संभव है। महिलाओं को वटवृक्ष लगाकर ऑक्सीजन बढ़ाने का सबसे कारगर उपाय है। प्रकृति की सुरक्षा व संवर्धन के लिए हम सभी को पौधा लगाने व पेड़ बचाने का दृढ़ संकल्प लेने की आवश्यकता है। हिदू धर्म में यह पेड़ बहुत ही पूजनीय है। इसका सामाजिक व वैज्ञानिक महत्व भी है। यह आक्सीजन प्रदान करता है। हम संकल्प लेते हैं कि बरगद का पौधा लगाएंगे और दूसरों को भी प्रेरित करेंगे। -निक्की कुमारी गुप्ता, सिंहेश्वर
वट सावित्री व्रत पति की लंबी आयु, सुख-शांति व समृद्धि के अलावा अखंड सौभाग्यवती के लिए स्त्रियां करती हैं। वट सावित्री व्रत में हम महिलाएं बरगद पेड़ की पूजा-अर्चना करती हैं। सदियों से धार्मिक ²ष्टिकोण इस पेड़ को बहुत ही महत्वपूर्ण माना गया है। यह हमें आक्सीजन अत्यधिक देता है। हमें प्रकृति को बचाने का संकल्प लेना होगा। पेड़ लगाना होगा। इससे हम स्वच्छ सांस ले सकेंगे। स्वस्थ रह सकेंगे। संकल्प लेते हैं कि बरगद का पौधा लगाकर इसे पेड़ बनने तक सेवा करुंगी। -नेहा भारती_
पौधे बरगद ऑक्सीजन पूजनीय पेड़
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